राहुल कुमार
ये कौन है जो रातों को सता रहा है
दूर होकर भी बुला रहा है
खामोश पलकों पर चला आता है
दर्द दिल में जगा रहा है
कौन है जो अपना नहीं फिर भी
खोने का खौफ दिखा रहा है
झरने सा बहता हुआ यादों में
राग इश्क का बजा रहा है
आखिर ये कौन है कौन है
जो मेरी रूह में समां रहा है
हर वक़्त है जैसे साथ मेरे
मुझको मुझसे मिला रहा है
संगदिल पत्थर का सनम होगा
मेरी हस्ती मिटा रहा है
सोमवार, 19 जुलाई 2010
सदस्यता लें
संदेश (Atom)