गुरुवार, 11 सितंबर 2008

न्यू कमर किसके आदमी हैं

दो साल की पत्रकारिता की पढाई और एक साल काम करने के बाद भी मैं किसी का आदमी नही हूँ,,, क्योकि मैं किसा का नही बना। ऐसा नही है की मैं किसी का बन नही पाया , balki

1 टिप्पणी:

bhulava ya kuchh hai ने कहा…

क्‍या बे? आदमी कब से किसी के आदमी बनने लगे बे, तुम जैसे लोगों ने ही ये मजमा सा लगा रखा है। इस दुनिया में कोई किसी का हुआ है क्‍या? एक ‌दिन हमारी औलाद ही लकड़ियों में रखकर आग लगा देगी।
तो इसलिए मौज लो रोज लो न मिले तो खोज लो