सोमवार, 23 फ़रवरी 2009

तुम्हारी याद

तुम्हारी याद में चहका, तुम्हारी याद में महका
तुम्हारी याद में निखरा, तुम्हारी याद में बिखरा
तुम्हारी याद मुझको रात भर सोने नहीं देती,
कभी हंसने नहीं देती, कभी रोने नहीं देती।

तुम्हारी याद मेरे घर के चौकीदार जैसी है ,
जो पूरी रात जगती है, सुबह करवट बदलती है।
तुम्हारी याद दादी माँ की उस लोरी सरीखी है,
कि जो बच्चों की मीठी नींद में अक्सर टहलती है।
तुम्हारी याद घर आई हुई चिट्ठी की तरह है,
जो अपने दूर के संदेश भी नजदीक लाती है।
तुम्हारी याद पूजाघर में प्रातः वंदना जैसी
जिसे हर रोज़ मेरी माँ बड़ी श्रद्धा से गाती है।
तुम्हारी याद मुझको भीड़ में खोने नही देती,
कभी हंसने नही देती, कभी रोने नही देती।
तुम्हारी याद मेरे सोच की गहराइयों में है
तुम्हारी याद मेरी रूह की परछाइयों में है।
तुम्हारी याद मेरी चेतना के पंख जैसी है
तुम्हारी याद सन्नाटे में गूंजे शंख जैसी है।
तुम्हारी याद मरुथल में भटकती प्यास भी तो है
तुम्हारी याद सीता का कठिन वनवास भी तो है।
तुम्हारी याद जीने का सबक देती तो है, लेकिन
तुम्हारी याद मरने तक कोई संन्यास भी तो है।
तुम्हारी याद क्यों मुझको, मुझे होने नही देती,
कभी हंसने नही देती, कभी रोने नही देती।

तुम्हारी याद फूलों सी, तुम्हारी याद शबनम सी,
हवा के मंद झौकों सी, नए मदमस्त मौसम सी।
तुम्हारी याद झूलों सी, तुम्हारी याद सावन सी,
तुम्हारी याद अंगडाई, तुम्हारी याद धड़कन सी।
तुम्हारी याद राधा-कृष्ण में व्याकुल सी मीरा सी,
तुम्हारी याद तुलसी, सूर, रत्नाकर, कबीरा सी।
तुम्हारी याद जयशंकर, महादेवी, निराला सी,
तुम्हारी याद बच्चन की छलकती मस्त हाला सी।
सुमन जैसी तुम्हारी याद, दिनकर सी, भवानी सी,
तुम्हारी याद कोमल गीत, चौपाई, कहानी सी।
तुम्हारी याद समझौता कोई ढोने नही देती,
कभी हंसने नही देती, कभी रोने नही देती।

5 टिप्‍पणियां:

दिल दुखता है... ने कहा…

तुम्हारी यादें भी हमको चैन से सोने नहीं देती अब पूछो क्यों ?

Madhukar ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
www.जीवन के अनुभव ने कहा…

sirji kisaki yaaad hai jisane aapko itana vyakul kar diya hai

मधुकर राजपूत ने कहा…

सृष्टि, साहित्य, वात्सल्य सारे भाव यादों में पिरो दिए। सुंदर और सभी के लिए प्रासंगिक रचना। राहुल जी एक सवाल पूछना है। क्या आप जनसत्ता नोएडा में 2007 में काम कर चुके हैं? क्योंकि उन दिनों मैं रविवारीय डेस्क पर काम करता था और मुझे लगता है शायद आप वहां इंटर्नशिप करने आए थे। आपके जवाब की प्रतीक्षा रहेगी।

मधुकर राजपूत ने कहा…

चलो छोड़ो मिल गया तुम्हारा जवाब। नीचे वाली पोस्ट पढ़ ली। कहां हो ये बताओ। अपना फोन नंबर ज़रूर देना। मेरे ब्लॉग पर स्वागत है। और एक बात धार आ गई लेखन में। उम्दा।