शुक्रवार, 19 मार्च 2010

आविष्कार आवश्यकता का जनक

राहुल कुमार

दुनिया भर में होती होगी आवश्यकता आविष्कार की जननी। मंदमुद्धि विदेशी वैज्ञानिकों, चिंतकों व दार्शनिकों के लिए। लेकिन ये देश तो भारत है भाईसाब। यहां तो आविष्कार आवश्यकता का जनक है। अपने देश में विदेशों सी 'जननी" वाली स्थिति नहीं है। न कभी रही है। और रही भी हो तो बाबा आदम के समय ही रही होगी। जब आदमी नंगा घूमता था। पशु मारकर खाता था। जाहिल था। गंवार था। लेकिन अब तो जेंटलमैन है। सो जनक बन बैठा है। देश ने विकास के नए आयाम गढ़ लिए हैं। अभी भी विदेशियों की तरह आवश्यकता पर निर्भर रहेगा क्या ? कतई नहीं भाईसाब।


ये देश 'भारत है भाईसाब। यहां आवश्यकता नहीं आविष्कार महत्वपूर्ण है। आविष्कार ही तय करता है कि आवश्यकता किस चीज की है। और देश के बाशिंदों को क्या जरूरत हैं और कब-कब है। क्योंकि ये देश 'भारत है भाईसाब। अपनी मस्ती में मस्त।


यहां वही चलता हैं जो गणमान्य चाहते हैं। और यहां गणमान्य सिर्फ तीन तरह के प्राणी होते हैं। एक तो नेता दूसरे नौकरशाह और तीसरे पूंजीपति। और ये सब आश्वयकता के नहीं आविष्कार के प्रेमी हैं। जो आविष्कार यह करते हैं, उसी की आवश्यकता पैदा करते हैं। देश की क्या आवश्यकता है ये उनके आविष्कार पर निर्भर करता है। देश के बाशिंदों की क्या मजाल की खुद की आवश्यकता खुद ही तय कर लें।


अब देखिए पंडित नेहरू के यहां एक बालिका का आविष्कार हुआ तो देश को महिला नेता की आवश्यकता हो आई। फिर सोनिया गांधी के यहां राहुल रूपी आविष्कार हुआ तो महिला आवश्यकता खत्म कर देश में युवा नेताओं की आवश्यकता को पैदा किया गया। अब देश को बूढ़े, हांफते नेता नहीं चाहिए। राहुल का आविष्कार हो गया है भाईसाब ।


ऐसे ही माधवराव सिंधिया से ज्योतिरादित्य, मुलायम सिंह से अखिलेश, राजेश पायलट से सचिन पायलट और पीए संगमा से अगाथा संगमा का आविष्कार हुआ तो भारतीय पटल पर युवा राजनीति की आवश्यकता खुद व खुद हो आई। अब नेताओं का आविष्कार है तो उसकी आवश्यकता तो देश को होनी ही चाहिए। क्योंकि ये देश 'भारत है भाईसाब।


यहां जब भी नए मंत्री जी का आविष्कार होता है कि देश को नई योजनाओं की आश्यकता हो आती है। जो कागजों तक ही आवश्यक होती हैं। मंत्री जी के बेटे का हेलमेट एजेंसी के ठेकेदार के रूप में आविष्कार हुआ कि पूरे प्रदेश को हेटमेट सुरक्षा की आवश्यकता बेहद आवश्यक हो गई। डंडा मारकर आविष्कार की आवश्यकता पैदा की गई। जैसे ही सारे हेलमेट बिके आवश्यकता खत्म भाईसाब।


नौकरशाहों के रिश्तेदारों में बेरोजगारी का आविष्कार हुआ कि तुरंत ठेकेदारों की आवश्यकता हो आती है। और ठेका भी रिश्तेदारों को दे दिया जाता है। ठीक वैसे ही जैसे अभिनेताओ के आविष्कारों के लिए फिल्मों की जरूरत हो आती है। बड़े बड़े निर्माता व निर्देशक अभिनेताओं के पुत्र-पुत्रियों रूपी आविष्कार की आवश्यकता पैदा करने का काम करते हैं।


ये देश 'भारत है भाईसाब। यहां तो महंगाई भी आवश्यकता है। यहां व्यापारियों के गोदामों में अनाज, दाल, फल, सब्जी का आविष्कार हुआ कि वहां देश को महंगाई की आवश्यकता हो आती है। सरकार की पसंद के व्यापारी। उनका आविष्कार क्या मामूली चीज है भाईसाब।


कितना कुछ है आविष्कार की महत्ता बताने के लिए। फिर भी आवश्यकता को आविष्कार की जननी कहें ? न जी न। माना कि दुनिया कहती है। लेकिन ये देश तो 'भारत है भाईसाब। गणमान्यों का देश!

1 टिप्पणी:

kshama ने कहा…

Karara vyang! Bahut badhiya likhte hain aap!