शुक्रवार, 12 सितंबर 2008

मेरी कविता

आज खुशियां हैं इतनी कि गम हैं जुदा
उन से मिलकर हमको ऐसा लगा

नींद आए न रातों को अब
चैन मिलता नहीं उनको देखे बिना

वो मेरा हमसफ़र मेरा साथी बने
उम्र भर रब से बस ये ही मांगू दुआ

लाख कोशिश की हमने न दें दिल उन्हें
नासमझ, बेखबर उनका ही हो चला

दिल की दुनिया मेरी उनसे जन्नत हुई
प्यार उनका मिला शुक्रिया ये खुदा

गुरुवार, 11 सितंबर 2008

न्यू कमर किसके आदमी हैं

दो साल की पत्रकारिता की पढाई और एक साल काम करने के बाद भी मैं किसी का आदमी नही हूँ,,, क्योकि मैं किसा का नही बना। ऐसा नही है की मैं किसी का बन नही पाया , balki