गुरुवार, 31 दिसंबर 2009

साल के जाते-जाते

राहुल कुमार

चार अंकों का साल जाने को है। और चार अंकों का ही आने वाला। बस एक नंबर बढ़ गया है। हमेशा की तरह। इस बात से बेखबर की नया क्या है। लोगों में बेहद खुशी है। चारांे तरफ चिल्ल पों है। शोर शराबा। नए साल के स्वागत में लोग पागल हुए जा रहे हैं। सब की अपनी अपनी खुशियां और योजनाएं हैं। नए कपड़ों, नए स्थलों, नए आइडिया, नया करने के जोश के साथ। नए साल का स्वागत।

नए साल के पहले दिन सभी नया करने को बेताब हैं। लेकिन नया क्या किया जाए। परेशान हैं। बावजूद सब वही पुराने ढर्रे पर चल पड़े हैं। रात भर जाम के नशे में चूर होंगे। सुबह सूरज चढ़ने के बाद ही आंख खोलेंगे। जाम और थिरकन का खुमार बाकी रहेगा। साल के जाते जाते ज्योतिषी भी चीख रहे हैं। सभी राशियों का भाग्य तय कर रहे हैं। कौन नए साल में किस तरह की तरक्की पाएगा। लेकिन फिलहाल लोग जाम के नशे में नववर्ष सेलीब्रेट करने को बेताब हैं। झूमने को लालायित।

लेकिन सोचता हूं दिन का ढलना, शाम का चढ़ना, रात का मुब्हम अंधेरा, और फिर सुबह की विजयी मुस्कान। सब कुछ वैसी ही होगी जैसी है। और हमेशा से रही है। प्रकृति ने कभी खुद को नहीं बदला। रात की तन्हाईयों में सुबह के इंतजार में करवटें बदलने ने अदा नहीं बदली। सालों से वही हैं। दोपहर का बीतना। महीनों का आना-जाना। ऋतुओं का बदलना। दिन का उतार-चढ़ाव। रात का बढ़ना-ढलना। शाम का सहरा। सब कुछ हमेशा की तरह। वैसा ही बना रहेगा।

तो फिर सवाल कुलांचे मारता है कि नया क्या है नए साल में ? नए कपड़े पहनना ? नए तरीके से नाचना ? अच्छा खाना ? अच्छी शराब ? आखिर क्या ? शायद यह कि कुछ पुराने चेहरे से नाता तोड़ कर नए से रिश्ता गांठना ?

ऐसे में अपुन ने तय किया है कुछ नया करने का कोई संकल्प नहीं लेना है। जो सामने आएगा देखा जाएगा। साहस के साथ मुखाबित होंगे। हर अच्छे-बुरे से। जीवन की विसात पर शह और मात का खेल खेला जाएगा। बने बनाए सांचे से इतर। जाते साल को सलाम करते हुए नए साल के इंतजार में अपुन भी हैं। जाते साल का दिया अच्छा-बुरा लिए दबे पांव लेकिन उछलते कूदते नए साल में जाने को तैयार। डूबते साल ने बहुत कुछ दिया। इसलिए शुक्रगुजार हंू उसका। जीवन में कुछ खास जोड़ने वाला। नए साल से ढेरों उम्मीदें हैं। जीवन को खास बनाने और तराशने वालीं। पूरे साहस के साथ तैयार हूं। नए साल के लिए। आओ। और देखें इस विसात पर कौन शह खाता और कौन मात। क्या पाना है और क्या खोना।

आप सभी को भी नववर्ष की पहली किरण के साथ ढेर सारी खुशियां मिलने की कामना करता हूं। सभी का शौर्य, साहस, उत्साह, बना रहे। सभी संकल्प जो ले लिए हैं पूरे हो। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ। बाकी सब नए साल में।

1 टिप्पणी:

मधुकर राजपूत ने कहा…

भाईसाब, शौर्य, उत्साह और साहस के साथ ही पौरुष के परवान चढ़ने की दुआ भी दे जाते।