रविवार, 15 नवंबर 2009
नाम मेरे नाम से
राहुल कुमार
जुड़ गया फिर नाम उसका, नाम मेरे नाम से
लोगों ने महफिल सजा ली, नित नए इल्जाम से
कौन है ऐसा जो समझा उसके मेरे बीच की
सोच कर दिन भर के बाद, आंख नम है शाम से
चल गए कांटों पे गर, इश्क को समझेंगे तब
प्यार पर तोहमत लगाते जो बड़े आराम से
इश्क ही शै है यहां और बात है जज्बात की
आदमी भी देवता बन जाता है इस काम से
धड़कनें उसकी धड़कती आज फिर दिल में मेरे
उसने कुछ ऐसा कहा है अपने नए पैगाम से
दिल के नाते दिल के रिश्ते निभते हैं कैसे यहां
उससे पूछो मुझसे पूछो या फिर पूछो राम से
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6 टिप्पणियां:
Apne dil ki baat tumne lekhni k zariye hum log ko padne ka mauka dia. bohat sundar likha hai..
वह सर बहुत खूब सब कुछ कह भी दिया और बहुत कुछ छुपा भी गए....
vaah sirji kya baat hai.... bahut khub vyan kiya hai haledil
मौहब्बत में हो बेटा। कौन है मिलवाओ तो सही। अंधेरे में तो नहीं कूदे फिर रहे हो? संभल के खेलना कांटों में ज़ख्म मिलते हैं और बेमुरव्वत मौहब्बत का पार्टनर ज़ख्मों पर मरहम लगाने के मौके पर तिड़ी हो लेता है।
aapki kabita hame bahut pasnd aae
aapki kabita hame bahut pasnd aae
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